Add To collaction

नान स्टाप राइटिंग चेलैंज 2022 एडीशन 1 एक तरफा प्यार का अंत ( भाग 7)

      "संचिता तुम्है कल कहीं नही जाना है घर पर ही रहना है।"शान्ति देवी ने अपनी बेटी को समझाया।


       "क्यौ माँ कल क्या है कल तो होली दिवाली जैसा कोई त्यौहार भी नहीं है। " संचिता अपनी माँ से पूछने लगी।

     " कल तो जिन्दिगी का सबसे बडा़ इम्तहान है महारानी जी आपका। यदि कल फेल तो हमेशा फेल।" उसका भाई गुल्लू उसकी चिकौटी भरते हुए बोला।

      "क्या बक बक कर रहा है ? कैसा इम्तहान किसका इम्तहान तू यह कैसी पहेलिया बुझाने लगा।" संचिता अपने भाई गुल्लू के कान पकड़ कर पूछा।

    गुल्ले  ने बहुत मुश्किल से अपने कान छुडा़ये और बोला," दीदी कल तुम्है कोई पसन्द करने आर रहे है यदि कल तुम पास होगयी तो तुम्हारा इस घर से जल्दी से  दाना पानी उठ  सकता है।

         अब संचिता की समझ में आगया था कि कल क्या है। वह अपनी मम्मी से पूछने लगी," मम्मी यह क्या है मै तुम  लोगौ को इतनी बुरी लगरही हूँ। ऐसी भी क्या जल्दी है।"

  उसकी मम्मी बोली," बेटा  बहुत अच्छा घर है लड़का भी सुन्दर व सुशील है। आज के जमाने को देखते हुए उसमें कोई बुरी आदत नहीं है।  और शादी तो आज नही तो कल करनी ही है। अच्छे लड़के जल्दी से कहाँ मिलते है। मिल भी जाय तो तो उनके नखरे व भाव बहुत है। इसलिए हमने हाँ कहदी है।"

         "  माँ यह सब करने से पहले एकबार कम से कम मुझे भी पूछ लेती। मैरी भी तो कोई अपनी जिन्दगी है।" संचिता अपनी माँ से शिकायत करती हुई बोली।

             " अभी क्या आसमान टूट गया है दौनौ कल मिलकर एक दूसरे को पसन्द कर लेना। रिश्ता तो तुम दौनौ की पसन्द से ही आगे बढेगा।"  संचिता को  उसकी माँ ने समझाया।

    संचिता वहाँ से अपने कमरे में चली गयी और वहाँजाकर अनुज के बिषय में सोचने लगी।

        अनुज से उसकी पहली मुलाकात अपनी सहेली राधिका की शादी में हुई थी। अनुज  को वह पहली नजर मे ही चाहने लगी थी। अनुज उसकी सहेली राधिका की मौसी का लड़का है। वह एक अच्छी कम्पनी मे मैनेजर लगा हुआ था।

     अनुज भी संचिता को देखकर अपनी सुध बुध खो बैठा था। शादी के बाद उसने राधिका से ही उसका नम्बर लेकर बात  करना चाहता था परन्तु वह नम्बर लेही नही पाया क्यौकि उसे शर्म महसूस हो रही थी।

       इसी दरिम्यान उसको  कम्पनी ने दुबई भेज दिया।और वह उसमें ब्यस्त होगया। 

  संचिता ने भी एक बार  अपनी सहेली राधिका से बात की तब वह बोली,"  ओह फुलझडी़ मेरी ही भाभी बनना चाह रही है। कोई नही मै जल्दी ही अनुज के मम्मी पापा से बात कर लेती हूँ और तुझे अपनी सहेली से भाभी बनाने की कोशिश करती हूँ"

     अभी इस बात को दो दिन ही हुए थे कि  उसके मम्मी पापा ने उसके रिश्ते की बात ही यहाँतक पहुँचा दी।

         आज उसे कमल अपने मम्मी पापा के साथ देखने आरहा था।  संचिता कल से ही राधिका का नम्बर ट्राई कर रही थी परन्तु वह लग ही नही रहा था। संचिता केवल अनुज से एक बार बात करके उसका मन जानना चाहती थी।

    परन्तु ईश्वर को तो कुछ और ही मन्जूर था। कमल उसे देखने आचुका था। और उन लौगौ ने संचिता को देखकर फाइनल कर दिया था। संचिता भी बिना मध के कमल से मिली थी।

    उसे कमल में कोई कमी नही नजर आई वह हस मुख था और वह संचिता से  बहुत ही अच्छे ढंग से बात कर रहा था परन्तु संचिता उसको केवल हाँ व ना  में जबाब देरही थी।

   कमल सोच रहा था कि वह शरमा रही है और कमल ने उसके लिए हाँ कहदी। संचिता की तरफ से भी हाँ मानली गयी और  शादी की तिथि निकलवा ली गयी।

     यह सब इतनी जल्दी हुआ कि संचिता  राधिका से बात ही नही कर सकी। जब संचिता की  राधिका से बात हुई तब तक सब कुछ फाइनल होचुका था।

      "संची तू बोल क्यौ नहीं  रही है क्या हुआ।? " राधिका ने पूछा।

            " राधे हब उल्टा पुल्टा होग या  तेरा नम्बर ही कितने दिन से नही लग सका और मम्मी पापा ने मेरा रिश्ता कहीं और तय कर दिया। मै तो केवल अनुज से एक बार पूछना चाहती थी।" संचिता ने परेशान होते हुए कहा।

     इसके बाद राधिका ने भी अनुज से बात करने की कोशिश की लेकिन बात नही हो सकी क्यौकि अनुज को कम्पनी  ने दुबई भेज दिया था।
              संचिता की शादी हुई सुहागरित भी हुई। कमल उसका हर तरह से खयाल रखता था। संचिता के सास ससुर उसे बेटी से अधिक प्यार करते थे। परन्तु संचिता अनुज को नहीं भूल पारही थी। वह  उसका पहला प्यार था। उसे केवल एक यही दुःख था कि वह अनुज को एकबार यह नही कह सकी कि वह उसे बेहद प्यार करती है और न अनुज के दिल की बात जान सकी।

        संचिता कमल के   साथ  बाजार भी जाती थी परचेज भी करती थी। कमल हमेशा उसकी पसंद का पूरा खयाल रखता था परन्तु संचिया कमल को दिल से कभी भी  प्यार नही   कर सकी थी।

    कुछ समय बाद उन दौनौ की जिन्दगी मे एक बच्चा भी आगया। अब संचिता अनुज को भूलने लगी थी। अब वह  अपने बेटे रियांस के प्यार मे रंग गयी थी।

    परन्तु एक दिन उसे बाजार में  राधिका मिली और  उसने बताया कि वह अब इसी शहर मे आगयी है। राधिका ने अपने घर का पता दिया।और वह एक दिन राधिका को बिना बताये ही उससे मिलने पहुँच गयी। जब संचिता वहाँ पहुँची तब  अनुज भी  अपनी पत्नी के साथ वहाँ आया हुआ था।

         अनुज  दूसरे कमरे में अपनी पत्नी के साथ किसी बात पर झगडा़ कर रहा था। वह उसे  बुरी बुरी गालिया देरहा था। संचिता ने अपनी सहेली से पूछ लिया कि यह अन्दर कौन है ?

 तब राधिका ने बताया कि अनुज मेरा मौसेरा भाई अपनी पत्नी को किसी बात पर डांट रहा है। संचिता  अनुज का नाम सुनकर सोचने लगी कि वह  जिसके सपने पूरी जिन्दगी देखती रही है उसकी भाषा व पत्नी के प्रति एसा ब्यबहार देखकर उसकी आँखे खुल गयी और उसके मन में अनुज के लिए जो प्यार था वह घृणा मे बदल गया।

    आज वह अनुज से बिना मिले ही घर बापिस आगयी और रात को अपने पति को बहुत प्यार किया क्यौकि कमल ने उथसको कभी तू भी नही बोला था आज उसे अनुज व कमल में   कन्तर समझ में आगया था।

   अब संचिता अपने पति को  बहुत प्त्रार जताने लगी थी इसका कारण कभी भी कमल भी न समझ सका था। अब संचिता एक आदर्श पत्नी बन गयी थी।।

   नोट। :-नान स्टाप राइटिंग चेलेन्ज  2022  भाग 7  के लिए रचना।

नरेश शर्मा  " पचौरी"

24/05/2022

       




  

     




   14
5 Comments

Kusam Sharma

01-Jun-2022 09:40 AM

Nice

Reply

Abhinav ji

31-May-2022 08:49 AM

Nice👍

Reply

Priyanka Rani

30-May-2022 04:24 PM

Nice

Reply